बृज तजि के जा रहे हो कैसे जिएंगी हम ।। Braj Taji ke ja rahe ho kaise jeeyenge ham.

कृष्ण प्रेम की पीड़ा अदभुत, आंसू भरे अपार। विरह वेदना की अग्नि को जाने नही संसार।। जय श्री कृष्ण जय श्री राधे जय गिरिराज जी की 🙏🙏🙏
Back to Top