Shri Mataji’s advice on these names :
’The Significance of Puja’ - 20 April 1980 Paris
श्री कुण्डलिनी योग के १० नाम
१. श्री मूलाधारैकनिलया
२. श्री ब्रह्मग्रन्थिविभेदिनी
३. श्री मणिपूरान्तरुदिता
४. श्री विष्णुग्रन्थिविभेदिनी
५. श्री आज्ञाचक्रान्तरालस्था
६. श्री रुद्रग्रन्थिविभेदिनी
७. श्री सहस्राराम्बुजारूढा
८. श्री सुधासाराभिवर्षिणी
९. श्री तडिल्लतासमरुचिः
१०. श्री षट्चक्रोपरिसंस्थिता
10 Names of Shri Kundalini Yoga
1. Shrī Mūlādhāraika-nilayā:
वह मूलाधार में रहती हैं।
She dwells in Mooladhara.
2. Shrī Brahma-granthi-vibhedinī:
वह ब्रह्म-गाँठ का भेदन करती हैं।
वह साधक को सचेत रखते हुए जागृत अवस्था से परे जाने में मदद करती हैं।
She cuts the knot of Brahma.
She helps the devotee to consciously transcend his wakeful state.
3. Shrī Maṇipūrāntaruditā:
ब्रह्म-ग्रंथि का भेदन करने के बाद, वह मणिपुर चक्र में प्रकट होती हैं।
यहाँ साधक को जागृत अवस्था की माया का अनुभव होता है।
After cutting the Brahma-Granthi, She appears in Manipura chakra.
Here, the devotee feels the unreality of a wakeful state.
4. Shrī Vishṇu granthi vibhedinī:
वह विष्णु-गाँठ का भेदन करती हैं।
यहाँ साधक को शरीर, मन और जीवन मिथ्या प्रतीत होता हैं। वह उनसे निर्लिप्त हो जाता है।
She cuts the knot of Vishnu.
The devotee realizes that the body, mind and life are all illusions.
And hence gets detached from them.
5. Shrī Ajñā chakrāntarālasthā:
वह आज्ञा चक्र में हैं।
यहाँ साधक अपनी वैयक्तिकता को खोना आरंभ करता है।
Here, She is inside the Agnya chakra.
The devotee starts losing his “I-ness“.
6. Shrī Rudra granthi vibhedinī:
वह रुद्र-गाँठ का भेदन कर देती हैं।
यहाँ साधक अपने वैयक्तिकता को पूर्णतया खो देता है और सामूहिक चेतना के साथ एकाकार हो जाता है।
She cuts the knot of Rudra.
Here, the seeker completely loses his “I ness“ and becomes one with the collective consciousness in Sahasrara.
7. Shrī Sahasrārāmbujārūḍhā:
वह सहस्रार चक्र का सार हैं।
वह यहाँ साक्षी या चित्कला रूप में रहती हैं। यहीं मोक्ष है।
She is the essence of Sahasrara Chakra. She dwells there as witness. It is Moksha.
8. Shrī Sudhāsārābhi-varṣhiṇī:
वह अमृत तत्त्व की वर्षा करती हैं।
साधक को अतुलनीय आनंद की अनुभूति होती है। यहाँ कुण्डलिनी-साधना संपूर्ण हो जाती है।
She showers the essence nectar.
The devotee feels incomparable bliss in his state. Here culminates the Kundalini-Sadhana.
9. Shrī Taḍillatā-samaruchih:
वह बिजली की तरह चमकती हैं।
She dazzels like lightning.
10. Shrī Ṣhaṭ chakropari-saṃsthitā:
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